मंजिल - by Rajeshwari Joshi


मंजिल


मंजिल चाहे दूर हो तेरी,

विपद चाहे हो घनेरी।

थक के राही रुक ना जाना, 

हिम्मत से तू कदम बढ़ाना।


चाहे कितना हो अंधेरा, 

चाहे कितना दूर सवेरा।

नही पराजय से घबराना, 

जीत तुझको जरूर मिलेगी।


जीवन के गरल तू पीले,

जिंदगी को खुशी से जीले।

हिम्मत से तू कदम बढ़ाना,

मंजिल तुझको जरूर मिलेगी।



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