नारी - by Shobha Tiwari


नारी


ममता का सम्मान है नारी ,

संस्कारों की जान है नारी

स्नेह प्यार त्याग व कर्तव्य

इन सब की पहचान है नारी


कभी कोमल फूल गुलाब है

तो कभी है शक्ति का अवतार

रोशन करती है घर को

खुशियों का संसार है नारी

मन ही मन रोती पर

बाहर हंसती है नारी

भूल कर अपना मायका

ससुराल में घर बसाती है नारी 

कौन कहता है कमजोर

होती है नारी

आज पूरे घर को चलाने

की है उस पर जिम्मेदारी

आज दफ्तर भी जाती है नारी,

घर परिवार संभालती है नारी


लक्ष्मी, सरस्वती सा स्वरूप है नारी

बढ़ जाए अत्याचार तो

दुर्गा काली का रूप है नारी

प्यार, विश्वास आस्था है नारी 

टूटी उम्मीदों की आस है नारी

हर घर की शान

और अभिमान है नारी


सम्मान नारी का बचाना धर्म है 

मां बेटी पत्नी सब नारी के रूप है

खुद को अर्पित करके

सब का उत्थान करती है नारी

हर युग में बनी

बलिदानों की आन है नारी 


मन का अनुबंध को

प्रेम का प्रबंध है नारी 

जीवन को परिभाषित

करती निबंध है नारी 

घर की मर्यादा को

प्रेम पूर्ण वादा है नारी

जीवन को अंकुर देती

वह भी माया है नारी


करो इसका सम्मान हर पल क्योंकि

रिश्तो की शान है नारी 

मधु से सिंचित प्यार व

इज्जत की भूखी है नारी

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