आधार है पापा - by Amit Kumar Jatawat


आधार है पापा


घर    की    छत     और      आधार  है  पापा,
करते   बच्चो   के   सपने   साकार   है  पापा,

कांधे   पे   बिठा   शहर   घुमाए   कभी  और, 
कभी  हाथी - घोड़े  का  लेते आकार है पापा।

बच्चो   की   खुशी   में   खुश   रहते   हमेशा,
दर्द   खुदका   न   करते   इजहार   है  पापा।

विपत   पड़े    घर   परिवार   पे   जब - जब,
लड़ते   हैं   उनसे   लेके   अवतार  है  पापा।

बिन  बोले   सभी   फर्ज   निभाया   इन्होंने,
इसके बदले न चाहते कोई उपकार है पापा।

कदमों    में    मां   के    जनत    मिले    तो,
उस  जनत   का   स्वर्णिम   द्वार   है  पापा।

यह   अभिमान   शान   स्वाभिमान   हमारे,
बच्चो    का    सकल    संसार    है   पापा।



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