पिता - by Rashmi Sharma "Bholi"
पिता
संघर्ष कहू या पिता कहू ,या कहू मेरा आत्मसम्मान।
हर मुश्किल की राहों में उन्होंने बढ़ाया मेरा मान।।
त्याग कहू या पिता कहू, या कहू अविरल सी एक धारा।
जीवन के हर समुद्र में जिसने पार उतारा।।
इबादत कहू या पिता कहू,या आसमान का तारा।
मेरे लिए चाँद को भी जिसने जमीं पर उतारा।।
सूर्य कहू या चाँद कहू या कहू एक किनारा।
हर मुश्किल खड़े रहे वो बनके मेरा सहारा।।
हवा कहू या पिता कहू या कहू फूल माला।
हर परिस्थिति में उन्होंने खुद को ढाला।।
विश्वास कहू या पिता कहू या कहू अमृत का प्याला।
आज पता चला कितने नाजो से उन्होंने हमको पाला।।
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