पॉजिटिव - by Deepak Sharma


पॉजिटिव


मेरा नेता मित्र बोला यार कुछ पॉजिटिव लिखो

आपदा में भी अवसर है आकर हमसे मिलो ।

मैने कहा जनता को जागरूक करते हैं

बोले बस इसी बात से तो हम डरते हैं ।


मैने  कहा जरूरतमंदो की मदद  करो

या फिर गरीब निर्धनों का पेट ही भरो ।

बोले इसके लिए मेरे पास टाईम नही है

क्‍या तुम्‍हारे पास और कोई काम नही है ।।


मैने कहा चलो कुछ पॉजिटिव करते हैं

गरीबो का इलाज, दवाई फ्री करते हैं ।

बोले अपनी पॉजिटिवीटी अपने पास रखो

पॉजिटिव हो गये हो तुम, मुझसे दूर रहो ।।


पॉजिटिव सिर्फ लिखना और है बोलना

लगा है मौके का फल इसे है तोडना  ।।

बडा मुश्किल है इस दौर में लिखना

निगेटिव होकर पॉजिटिव है दिखना  ।।


पर कलम तो समाज का है दर्पण ।

फिर कैसे में कर दूं इसका समर्पण ।।

जो घटेगा,जो दिखेगा वही मैं लिखूंगा ।

कलम का पूजारी हूं कभी ना झूकूंगा ।।

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