प्रेम की लौ - by Pawan Mohanlal Raikwar


प्रेम की लौ


जीवन की इस मजधार में,

जीवन की इस पुकार में ,

बहने दो प्रेम की धारा ,

जलने दो प्रेम की लौ ।


आशा लिए मन में,

ऊर्जा लिए तन मैं,

बाँटते चलो बस बाँटते चलो,

प्रेम ही है बस जीवन में ,

बढ़ाते चलो इसे ,

फैलाते चलो सबके दिलों में ।


चाहे सुख हो या हो दुःख ,

ना डरना ना घबराना ,

सबको अपने गले लगाना ,

प्रेम की बस यही पुकार हो।

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