तुम रहे प्रेरणा की तरह - Shivnarayan Johri "Vimal"


तुम रहे प्रेरणा की तरह


तुम रहे प्रेरणा की तरह

भावना सा रहा मौन मैं

और हम तुम मिले जिस जगह

बस वही सर्जना हो गई


तुम रहे वंदिता से खड़े

वंदना मैं चला गूंजता

और हम तुम मिले जिस जगह

शक्ति आराधना हो गई


तुम रहे कामना ही स्वयं

प्यास सा मैं भटकता रहा

और हम तुम मिले जिस जगह

सृष्टि की कल्पना हो गई


तुम रहे प्राण से फूंकते

खोखली बांसुरी मैं रहा

और हम तुम मिले जिस जगह

द्वैत की भावना सो गयी

एक स्वर साधना हो गई

तुम रहे प्रेरणा...........।।।

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