विदाई का दर्द - by Dolly Sharma "Brijbala"


विदाई का दर्द


पाल पोस कर बड़ा किया....

सौभाग्यवती  का आशीष  दिया....

उँगली पकड़  चलना सिखाया....

नव दृष्टि से जग को दिखाया....


आँचल में छुपाया,कुदृष्टि से बचाया....

सामाजिक अस्तित्व  दिलाया..

हर रिश्ते में ढलने को  हमारा अभिमान बनाया..

जिंदगी को हमारी एक बलिदान बताया....


माना कि मैं लड़की हूं पर 

मैं हूं खून तुम्हारा...

बचपन बीता बाबुल के घर

क्या बस यही अधिकार हमारा...

मेरे जन्म को तुमने खुशी खुशी अपनाया है...

पर दो ही पल में हमें कर दिया पराया है....


माँ तुम तो सोचो क्या बीती होगी तुम पर...

जब अपना आशियाना छोड़ आयी तुम इस घर.

माँ तूं जाने दर्द हमारा,तू ही विरह जानती है....

फिर भी इस विदाई की रस्म को तूं भी मानती है

No comments

Powered by Blogger.