सिर्फ यादें - by Kumar Anil


सिर्फ यादें

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जबसे मिला है तुम्हारा शोक संदेश,

न थम रही आँखों में आँसुओं का रेस।

पर्यावरण के रक्षक तुम पौधों के रखवाले,

तुम यादें और सिर्फ यादें ही छोड़ जाओगे।

मुझे उम्मीद न थी  मेरे दोस्त,

तुम दुनियां को अलविदा कह जाओगे।


हर लम्हें,  फोन पर हुई हर बातें मुझे याद आती है,

सोचता हूँ अतीत में तो सिर्फ तुम्हारी याद आती है।

कोरोना से जंग लड़ते हुए हौसला बढ़ाया था,

तुम जंग जीतकर घर वापस जरूर आओगे।

मुझे उम्मीद न थी  मेरे दोस्त,

तुम दुनियां को अलविदा कह जाओगे।


कोरोना कि प्रथम लहर में, दिल थाम कर बैठे थे घरों में,

पूछा करता था ख़ैरियत तुमसे, बताते थे अपने बारे में। 

टूट गया हूँ तुम्हारी शोक भरे संदेश को पढ़कर,

न सोचा, न समझा अँधेरे में यूहीं तुम खो जाओगे।

मुझे उम्मीद न थी  मेरे दोस्त,

तुम दुनियां को अलविदा कह जाओगे।


इच्छाऐं भी थी तुम्हें कुछ पाने की,

ज़ज्बा था कुछ कर दिखाने का।

सारे अरमानो को पल में भुलाकर,

अपने सपनों को यूहीं अधूरा छोड़ जाओगे। 

मुझे उम्मीद न थी  मेरे दोस्त,

तुम दुनियां को अलविदा कह जाओगे।


लिख रहा हूँ संदेश तुमें, अपने अँसुओं के इंक से,  

तुम्हारी आत्मा को शन्ति मिले, यही विनती है ईश्वर से। 

सोचा न था कभी किसी ने, 

तुम इतनी जल्दी पंचतत्व में विलीन हो जाओगे। 

मुझे उम्मीद न थी  मेरे दोस्त,

तुम दुनियां को अलविदा कह जाओगे।

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