बेटी बनना इतना आसान नहीं - by Arjun Singhal
बेटी बनना इतना आसान नहीं
बेटी बनना इतना आसान नहीं कई फर्ज निभाने पड़ते हैं।
जन्म हो बेटी का घर पर तब मायूसी छा जाती है
क्या गलती है उस नन्ही जान की जो
पैदा होते ही तुम्हारी नजरो से उतर जाती है
तुम्हारे बदले तेवर में उसे दिन बिताने पड़ते है
बेटी बनना इतना आसान नहीं कई फर्ज निभाने पड़ते हैं।
शिक्षा से वंचित रखते हो ओर मजदूरी करवाते हो
उस मजदूरी के पैसों से बेटे को पढ़ाते हो
कहते हो बेटी पराया धन होती है
तुम मा बाप होकर भी यमराज का किरदार निभाते हो
ना चाहते हुए भी उसे सारे अरमान जलाने पड़ते है
बेटी बनना इतना आसान नहीं कई फर्ज निभाने पड़ते हैं।
उम्र नहीं थी शादी की फिर भी शादी का जोड़ा पहना दिया
उसने ठीक से चलना नहीं सीखा था
ओर तुमने बोझ कंधे पर डाल दिया
ना तो माँ ने ममता दिखाई ओर ना ही पिता ने प्यार दिया
तुमने उसको जन्म देकर तुमने उसे मार दिया
फिर भी उसे तुम्हे माँ ओर बाप कहकर बुलाने पड़ते है
बेटी बनना इतना आसान नहीं कई फर्ज निभाने पड़ते है।
नवरात्रि में उपवास रखकर भंडारे लगवाते हो
भूल गए यह बात की दुर्गा भी किसी की बेटी थी
जिस मां की कोख से जन्म लिया
वो मां किसी की बेटी थी
सोशल मीडिया के ऊपर तुम स्टेटस लगाते हो
बेटी बचाओ के नारे देकर शाहुकार बन जाते हो
फिर भी उसे तुम्हारे जुल्म छुपाने पड़ते है
बेटी बनना इतना आसान नहीं कई फर्ज निभाने पड़ते है
अगर इंसानियत जिंदा है तुममें तो एक काम कर जाना
कितने जिओगे यह कोई जानता नहीं
पर एक बार उस बेटी सम्मान दे जाना
तरस रही तुम्हारे प्यार के खातिर उसे गले लगा जाना
ओर बताना इस दुनिया को की बेटियां घर की रौनक होती
कभी ना कभी तो गले लगाने पड़ते है
बेटी बनना इतना आसान नहीं कई फर्ज निभाने पड़ते हैं।
No comments