चलो मंजिल छू लें - by Sanket Singh
चलो मंजिल छू लें
दुःख के दिन अब बीत जाएंगे
नई आशा की फिर भोर होगी
तेरे आज के खामोशी भरे मेहनत की
चहुंओर कल शोर होंगी
कुछ वक्त ठीक कर देगा
बाकी हमारी अपनी मेहनत
देखना एक दिन तुम्हारे जश्न ए शाम में
तुम्हारे विरोधी भी करेंगे शिरकत
बार बार असफलता तुम्हें
मजबूत बनाने आती है
रोज किए गए प्रयासों से ही
एक दिन सफलता मिल जाती है
क्या खोया क्या पाया अब तक
ये बातें सोचना क्यों है अब
थककर यूँ रुक जाना नहीं तुम
तुम्हारी मंजिलें करीब है जब
अजी होकर व्यस्त कभी खुद में
रहो हरदम आगे बढ़ने की जिद में
यहाँ डगर डगर पर कील चुभेंगे
तेरे अपने भी तुझसे मुँह फेरेंगे
सफर में यूँ ही चलते चलते
तुम अपने नेक इरादे रखना
हार जाओ तुम बार बार चाहे
पर कोशिश अपनी जारी रखना
होगा भोर तेरे जीवन में भी
जैसे सफल व्यक्ति के हुआ करते हैं
डटकर मेहनत करने वालों के ही
सपने पूर्ण हुआ करते है
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