आसान नहीं होता है - by Md. Javed Saudagar


आसान नहीं होता है

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ज़रूरतों से लड़ रहा हूँ,

ख़्वाहिशें दबा के।

आसान नहीं होता है चलना,

ईमान बचा के।।


ढक रखीं हैं कुछ ग़ुरबतें,

नए लिबासों में।

आसान नहीं होता है रहना,

सम्मान बचा के।।


सोचता हूँ कह दूँ, ज़ुबाँ से,

हर राज़ दिल के।

पर आसान नहीं होता है कहना,

ज़ुबान बचा के।।


अश्क़ों के समुंदर में अक़्सर,

डूब जाती हैं जज़्बातों की कश्तियाँ।

आसान नहीं होता है उबरना,

आँख़ों के तूफ़ान बचा के।


यूँ तो हर शक़्स रख़ता है,

मुन्सिफ़ की नज़र साहेब।

पर आसान नहीं होता है इंसाफ़,

अदल-ओ-मीज़ान बचा के।


पल-पल करती रहती है,

ज़िंदगी भी ज़लील साहेब।

आसान नहीं होता है मरना,

जान बचा के।।


ज़रूरतों से लड़ रहा हूँ,

ख़्वाहिशें दबा के,

आसान नहीं होता है चलना,

ईमान बचा के।।


- मो० जावेद सौदागर,

रीवा, मध्य प्रदेश

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