अरमान है बेटी - by Kumar Avishek Anand
अरमान है बेटी
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है मेरी जान ये बेटी, ये अरमान है बेटी।
दिल के कोने में झाँको तो, एक पैगाम है बेटी।
ये नयनों की ज्योति है, प्यार की ये अनुभूति है।
आज के दौर में देखो, देश का मान है बेटी।
फूलों से नाज़ुक है बेटी, हवा की उड़ान है बेटी।
जो गदगद दिल मेरा हो जाए, मेरी पहचान है बेटी।
अब लाचार नहीं बेटी, नहीं मजबूर है बेटी।
धधकती चिंगारी बन जाए, अगर छेड़ो तो ये बेटी।
कड़कती सर्दी में भी, सुहानी धूप ये बेटी।
उदासी के हर मंजर में, खुशी का रूप ये बेटी।
ये धरती से चली तो, है आसमान में बेटी।
ऊँची उड़ान तो देखो, है अंतरिक्ष यान में बेटी।
शहीदों की शहादत पर, है श्मसान में बेटी।
आज़ादी का दौर देखो, वहाँ भी लड़ी थी ये बेटी।
देश के राजनीति में, वहाँ भी खड़ी थी ये बेटी।
कलम की धनी बनी बेटी, हिम पर खड़ी मिली बेटी।
पति की रक्षा की खातिर, यम से लड़ी भी ये बेटी।
कोई ऐसा क्षेत्र है बोलो, जहाँ राज न करती ये बेटी।
हाँ, दिल के कोने में झाँको, तो है एक पैगाम ये बेटी।
न गाय का खूँटा ये बेटी, न किस्मत रूठा ये बेटी।
जीवन का वरदान है बेटी, अब न बदनाम है बेटी।
देने योग्य ध्यान है बेटी, भावी संतान ये बेटी।
जाती है विदेश ये बेटी, एक नया परिवेश है बेटी।
बेटे से कम नहीं बेटी, एक नया उदघोष है बेटी।
आँगन की तुलसी है बेटी, पूजा की कलसी ये बेटी।
है बोझ नहीं अब ये बेटी, सो कोख न मारो ये बेटी।
आने दो इस दुनिया में, रोशन कर देगी ये बेटी।
- कुमार अभिषेक आनंद
साहिबगंज, झारखंड
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