पढ़े डॉ० जबरा राम कंडारा जी की रचनाएँ ( Dr. Jabra Ram Kandara )


(1) नारी जीवन

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परिवार-घर समाज की,आन-बान औ' शान।

घर की रौनक भव्यता,नारी सदा महान।।


सुख-दुख भोगे साथ में,सदा निभाती साथ।

नारी बिन सूना जगत,कुछ बने नही बात।।


दुख भोगत सुख देत है,सहे पराई पीर।

अपनों हित चिंता करे,नैन बहाये नीर।।


धीरज को धारण करे,होती बहुत सुशील।

विपत पड़े झलके नही,बड़ी ही सहनशील।।


काम-काज सारा करे,नही होय थक चूर।

सबकी खुशियों से खुशी,मुख झलकाती नूर।।


सबको लेकर के चले,करे सदा सहयोग।

आफत में रहे पिसती,हो अभाव या रोग।।


बच्चों को संभालती,देती है संस्कार।

सदा माँ ममतामयी,दिल में प्यार अपार।।


बहन बनी बिसरे नही,कभी न भूले भ्रात।

याद हमेशा ही करे,करती जब भी बात।।


भुआ भ्रांत राखत नही,मन अपनापन भाव।

सबको अपना मानती,निश्छल रख स्वभाव।।


नारी रूप नित्य रहे,पति प्रति निष्ठावान।

ईश्वर से बढ़-चढ़ वही,मन माने भगवान।।


- डॉ० जबरा राम कंडारा

रानीवाड़ा, राजस्थान


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(2) रिश्ते

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रिश्ते  होते  खून  के,  होते  सदा  अटूट।

सच से ये सुमधुर बने,तजो कपट-छल झूठ।।


रिश्ते कुल की कार है, सामाजिक  मर्याद।

प्रेम से ये निभाइये, मन  में  रखिये  याद।।


रिश्तों पर सदैव टिका,हर कोई परिवार।

ये है मानव के लिए,जीवन का आधार।।


अब इनमें बदलाव है,बदल गए मन भाव।

धोखा कुछ करने लगे, दिल में है दुर्भाव।।


मतलब से कुछ मानवी,करते धोखा-घात।

सुख में रखे समीपता, दुख में छोड़े साथ।।


रिश्तों में सद्भाव हो,मन हो निर्मल साफ।

अपनापन ईमान हो,प्रेम यकीन अमाप।।


रिश्तों में शालीनता, सभ्य सदव्यवहार।

वाणी में सद्भाव हो,निर्मल नजर निहार।।


सबको अपना ही गिने,खोले मन की बात।

वक्त पड़े सहयोग दे,तन मन धन से साथ।।


छोटा-बड़ा जानते,संबोधन अनुसार।

आदर और प्रेम भरे,होते है उद्गार।।


अपने भारत देश में,रिश्तों की पहचान।

सारे रिश्ते देखते, तदनुसार सम्मान।।


- डॉ० जबरा राम कंडारा

रानीवाड़ा, राजस्थान


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(3) राजनीति

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राजनीति का रंग अलग है,निराला ढंग-ढाला।

उल्टा काँच दिखा भरमाते,जपे जीत की माला।।


जीते फिर नहीं मुँह दिखाते,पाँच साल करे मस्ती।

काम बगैर ही ये चाहते,पाना लोकप्रियता सस्ती।।


जैसे कहते करते नहीं है,झूठा वादा भी करते है।

मत माँगते गिड़गिड़ाते, जीते तो दूर विचरते है।।


साम दाम दंड भेद नीति से,वो चुनाव जीत जाते।

काम नहीं कुछ भी करते,फिर मुड़ के नही आते।।


भाषण वीर ओजस्वी वक्ता, कहते नही शर्माते है।

कोई गोटाले कर चर्चाते,खुद का घर भर जाते है।।


भाई-भतीजावाद चलाते, कुर्सी कायम रखते है।

दल-बदलू भी बन जाते, कई स्वांग भी रचते है।।


राजनीति का ऐसा नशा,चढ़े फिर उतरे नाही।

येनकेन प्रकारेण बस वो, चिपके रहते वाही।।


अच्छा करने वाले होते,जिनकी गिनती कम है।

राजनीति दिखलाती ये,किस्में कितना दम है।।


व्यक्ति कम दल देखा जाता,समय लहर चलती है।

की नहीं उम्मीद जिसकी,उसको कुर्सी मिलती है।।


राजनीति के क्रीडांगण में,हर कोई पारी खेले है।

भाग्य साथ किसी का दे,किसी को दे धकेला है।।


डॉ० जबरा राम कंडारा

रानीवाड़ा, राजस्थान


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(4) मतदाता

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मतदाता मत का करे,सही-सही उपयोग।

जीते अच्छा व्यक्ति तो,खुश होते सब लोग।।


सोच-समझ अरु परख के,करे सही मतदान।

मत जाए नहीं फालतू, सोचे हर इंसान।।


अपना मत है कीमती,यह समझे हर कोय।

मतदाता देवे सही, अच्छा-सच्चा जोय।।


पहले से ही तय करे,किसे करे मतदान।

यही वक्त देवे उसे, देखे चुने निशान।।


आम व्यक्ति ये समझ ले,अपना मत अनमोल।

लायक नायक देख के, देवे मत दिल खोल।।


मतदाता निर्भय रहे,जब भी होय चुनाव।

किसी से नाहिं उलझे,शांत रखे स्वभाव।।


हर दल अपनी ओर से,करता रहे प्रयास।

नहीं रोकना टोकना,अपनी-अपनी आस।।


करना वही उचित लगे,सही वक्त मत देय।

व्यर्थ कोई ओर से,तू मत पंगा लेय।।


अपना-अपना जोश है,अपना-अपना दांव।

हर कोई प्रचार करे, जाते शहर व गांव।।


मतदान का मिला हुआ,सबको ही अधिकार ।

नहीं आए दबाव में, मत दे सोच-विचार।।


- डॉ० जबरा राम कंडारा

रानीवाड़ा, राजस्थान


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(5) भारत देश

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धर्म निरपेक्ष देश हमारा।

हमको है प्राणों से प्यारा।।


हिलमिल रहते यहाँ सारे।

जैसे नील गगन में तारे।।


सारे ही मिल पर्व मनाते।

रंग खेलते हँसते-गाते।।


देते होली की बधाई।

ईद मुबारकबाद सदाई।।


खुश हो रखते मन को चंगा।

नहीं  जात-धर्म का दंगा।।


प्रेम भाव अरु भाईचारा।

कहते भारत देश हमारा।।


देशभक्त यहाँ हर कोई बंदा।

मस्त हो करता अपना धंधा।।


हिमालय नग राज कहावे।

कलकल गंगा गाथा गावे।।


- डॉ० जबरा राम कंडारा

रानीवाड़ा, राजस्थान

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