हृदय विशाल - by Dr. Nilima Ranjan


हृदय विशाल

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विस्तारित यह नील गगन विशाल,

लहराता यह नृत्यरत वारिनिधि विशाल,

लालित्य प्रभामय यह दिनकर विशाल,

अद्भुत रचना ब्रह्मा की यह ब्रह्मांड विशाल,

कौमुदी आवृत्त कलाधर रजनीश विशाल।


आलय हैं ये विविधता के, महात्म्य के,

विशालता के, जीवात्मा के ।

चलो खोजें-पाएँ यहीं परमेश्वर,

प्रकृति, मानव हृदय, चेतना ।


यह हिमाच्छादित हिमालय सर्वोच्च,

निवास देवाधिदेव महादेव का,

अंतर्चेतना महान, अतुलनीय आभामंडल

और दर्शन महाफलदायी।

पाएं यहीं लंबोदर गणपति,

माता, सहोदर सह,

बलिहारी बुद्धि देवता आपकी ।


परमपिता विशाल, विश्वमाता विशाल,

माँ शारदे, वरदान दो

आशीष दो,

सीखें समभाव, समदृष्टि।


प्रार्थित है आशीष विशाल प्रकृति का,

ब्रह्मांड की शक्तियों सहित आत्मबल का,

चलो, अर्जित करें अद्वैत ज्ञान, भक्ति,

त्याग, प्रेम, सर्वभूतहितेच्छा

और आकृत करें हृदय विशाल।


- डॉ० नीलिमा रंजन

भोपाल, मध्य प्रदेश

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