कुछ होता नहीं - by Somdutt Sharma Ashri


कुछ होता नहीं

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गधों को गधों ने कहा ज्ञान कुछ होता नहीं।

होता होगा सब कुछ पर जहान कुछ होता नहीं।।


जगाए हुए थे जो सो गए सोए हुए थे जो जग गए।

ये निश्चित हो गया कि अरमान कुछ होता नहीं।।


वो चिल्ला-चिल्लाकर कह रहे थे सब है यहीं पर।

पर हार गया जब कहा विज्ञान कुछ होता नहीं।।


रास्ते में भी वो पूछते ही रहे बार-बार सबसे।

अन्त में भी कह गए इम्तिहान कुछ होता नहीं।।


आजकल हर एक स्वयं भगवान बना हुआ है।

और कहता है सबको भगवान कुछ होता नहीं।।


अन्दाजा भी गलत और ईमान भी गलत सबका।

फिर महफिल में कहते हैं ईमान कुछ होता नहीं।।


सबकी सोच को नाकाम कर दिया चालबाजों ने।

फिर खुद ही कहते हैं कि अनुमान कुछ होता नहीं।।


"सोमदत्त" प्रदत्त ज्ञान की निन्दा भी क्यों।

तुम्हीं तो कहते थे बिन ध्यान कुछ होता नहीं।।


- सोमदत्त शर्मा आसरी

कुरुक्षेत्र, हरियाणा

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