पढ़े भोला शरण प्रसाद जी की रचनाएँ ( Bhola Sharan Prasad )


(1) प्रतिज्ञा

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भगवन तूने एक ही साँचे में ढाल कर भेजा था,

कोई हिन्दू, कोई मुसलमान हो गया।

रब की बनाई दुनिया में,

आदमी क्युँ हैवान हो गया?

भलाई के बदले तोहमत मिसाल बन गई,

दोस्ती की आड़ मे दुश्मनी मिल गई।

हिंद की ज़मी पर, भाई भाई के बीच,

नफरत ही पहचान बन गई।

किसी के दर्द से कोई वास्ता नहीं,

धर्म की आड़ में इंसानियत अंजान हो गई।

गले लगाने के बजाय,

खंजर भोंकता है इंसान।

झूठी कसम का वास्ता देकर,

इंसान बन गया बेईमान।

सोते हुए समाज को जगाने आया हूँ।

अपनों को अपनों से मिलाने आया हूँ।

जात-पात का बंधन तोड़ो!

दिल से दिल का नाता जोड़ो!

हो जाओ आजाद मजहब की जंजीरों से।

आग जानती चिंगारी की ताकत,

दुश्मनी भूल, शोला बनकर, नफरत की जंजीर तोड़ो।

तुम्हीं राजेंद्र बाबू की कलम, जयप्रकाश की आन,

तुम्हीं सुभाष, गुरु गोविंद, वीर कुंवर, खुदीराम की शान।

तुम्हीं कृष्ण की बाँसुरी, तुम्हीं राधा की मुस्कान,

तुम हो भारत माँ की संतान, तुम्हारा है हिंदुस्तान।

आज करो एक वादा, रखेंगे पूर्वजों की शान,

हर मुसीबत सहकर भी बनाएँगे नया हिन्दुस्तान।


- भोला शरण प्रसाद

नोएडा-150, उत्तर प्रदेश

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(2) फर्ज़

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क्या नसीब है गरीब भूखे इन्सान का,

दो रोटी भी नसीब नहीं, क्या न्याय हैं भगवान का।

दर्द भरी आवाज है, दर्द का आगाज है,

रात अभी बाकी है, सुबह का इन्तजार है।

राष्ट्रभक्ति की उम्मीद है, नंगे, भूखे इन्सान से,

मौत कैसे होती है, पूछो डॉक्टर और भगवान से।

दो रोटी देकर देखो, भूखे इन्सान को,

बेबस कभी नहीं भूलेगा, तेरे इस एहसान को।

मुँह ना फेरो ये खुदा के बन्दे,

वो कभी कुछ कहता नहीं,

बद्दुआ ऐसी आग लगाती है,

धुँआ कहीं दिखता नहीं।

खुदा की दुआओं से दामन भर ले,

उनकी इनायत से रौशन है सारा जहाँ।

भूख की कीमत मत पूछो धनवान से,

कमजोर, अबला की हालत ना पूछो बलवान से,

कफन की कीमत क्या जाने कब्रिस्तान?

कोई ना रहे भूखा, नंगा, बनाओ ऐसा हिन्दुस्तान।

हर घर से निकले तिरंगा, अमन, चैन और शान से,

हर हाथ को काम, सब की माँ, बहन हो एक समान,

ना कोई ऊँचा, ना कोई नीचा, ऐसा होगा हिन्दुस्तान।

कल्पना नहीं हकीकत में, हरा-भरा होगा रेगिस्तान,

आओ मिलकर बनाएँ, एक नया हिन्दुस्तान।


भोला शरण प्रसाद

नोएडा-150, उत्तर प्रदेश

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