प्रिय साथ मेरे तुम आना - by Anuradha Yadav


प्रिय साथ मेरे तुम आना

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प्रिय साथ मेरे तुम आना।

तुमने प्रीत सिखाई मुझको,

तुम ही राह दिखाना।

प्रिय साथ मेरे तुम आना।।

जो साज बने जीवन का,

प्रेम भरी सरगम का,

हर दुख के मरहम का,

प्रिये अनहद राग सुनाना।

प्रिय साथ मेरे तुम आना।।

जीवन संध्या जब आती हो,

भोर खड़ी मुस्काती हो।

तूफानों और झंझावातों से,

कोई लहर आ जाती हो।

सागर तट पर यूँ ही कभी,

तुम फिर से मिल जाना।

प्रिय साथ मेरे तुम आना।।

कहनी हैं बातें कितनी,

तुम बिन बीती रातें कितनी।

सपनों की दुनियाँ पर मेरी,

बदली-सी छा जाना।

प्रिय साथ मेरे तुम आना।।

धरती कितनी दूर गगन से,

साहिल कितनी दूर लहर से।

अधरों पे मेरे फिर भी तुम,

मिलन की आस जागना।

प्रिय साथ मेरे तुम आना।।


- अनुराधा यादव

भोपाल, मध्य प्रदेश

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