रौनक होती है बेटियाँ - by Durga Devi
रौनक होती है बेटियाँ
-
सुबह के उगते सूरज-सी,
प्रकाशमान होती हैं बेटियाँ।
जिंदगी को रंगीन बनाएँ,
ऐसी रंगीन होती हैं बेटियाँ।
शहद-सी मिठास,नीम-सी गुणकारी,
होती हैं हमारी बेटियाँ।
घर में खुशी का करती आगाज,
ऐसी खुशहाल होती हैं बेटियाँ।
लबों की जुबान, चेहरे की मुस्कान,
होती हैं हमारी बेटियाँ।
कभी माँ और माँ की बेटी,
होती हैं हमारी बेटियाँ।
कभी रूठती, कभी मनाती,
घर का बदलाव हैं बेटियाँ।
कभी समझती, कभी समझाती,
समझदार होती हैं बेटियाँ।
दयालु, ममता की मूरत,मेहनती,
होती है हमारी बेटियाँ।
मत करो अपमान बेटी का,
इज्जत की हकदार होती हैं बेटियाँ।
रोते हुए को हँसाने वाली,
दो घर संभालती हैं बेटियाँ।
दोनों जगह जिम्मेदारी निभाती,
कितनी जिम्मेदार होती हैं बेटियाँ।
दो धारी तलवार पर लटकी जिंदगी,
फिर भी जीना जानती हैं बेटियाँ।
इन्हें सुकून से जीने का हक दो,
अच्छी जिंदगी चाहती हैं बेटियाँ।
- दुर्गा देवी
पानीपत, हरियाणा
No comments