सुख-दुख सारी मन की माया - by Ganpat Lal Uday


सुख-दुख सारी मन की माया

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यह सुख-दुःख सारी मन की माया,

किस्मत का लेखा मिटे नहीं भाया।

जो आया उसको एक दिन है जाना,

क्यों करतें हो मानव ये हाय माया।।


क्या है अपना यहाँ पर क्या पराया, 

किसी ने खोया तो किसी ने पाया।

सब कुछ छूट जाना यहीं पर भाया,

ईश्वरीय माया कोई समझ न पाया।।


उस लीलाधर का यह खेत है ‌सारा,

हम सब खेतों की सब्ज़ियाँ प्यारा।

किसको तोड़ना और किसे छोड़ना,

मालिक वो जानें हमारा है सहारा।।


यह सुख-दुख सारी मन की माया,

कभी तो हरि कीर्तन करलो भाया।

आना और जाना यह चलता रहेगा,

पता ना चलता कब छोड़ दे काया।।


ये सुख-दुख एक जोड़ा है धरा पर,

स्वयं ईश्वर प्रत्यक्ष आए धरती पर।

नहीं घबराएँ कोई भी‌ ऐसे कष्टों से,

सुख-दुख बनाले परछाईं यहाँ पर।।


- गणपत लाल उदय

अजमेर, राजस्थान

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