पीढ़ी को बचाना होगा - by Sushila Devi
पीढ़ी को बचाना होगा
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सार्थक है की अधिकता,
हर चीज की बुरी।
बनती ये बाद में,
बड़े विनाश की छुरी।।
आओं विचार करें की,
स्वच्छ पानी क्यूँ इतना गंदा हो गया?
शुद्ध वस्तुओं का,
बाजार क्यूँ मंदा हो गया?
क्यूँ इतना जहर उपजाऊ,
मिट्टी में सो गया।
स्वच्छ आबोहवा का वातावरण,
कहाँ खो गया।।
हाँ! बढ़ती जनसंख्या ही,
ये सब कुछ निगल गयी।
जरूरतों को पूर्ण करने,
इंसानियत फिसल गयी।।
धरती पर मची सब,
जीवनदायनी चीजों की मारामारी।
बढ़ती जनसंख्या से,
सबमें अशुद्धता की लगी बीमारी।।
आओं! अब तो धरती की,
पुकार सुननी ही होगी।
बढ़ती आबादी पर लगाम की,
राह चुननी ही होगी।।
आओ! हम सब अपनी,
प्रकृति की स्वच्छता की राह चुनें।
जनसंख्या पर लगा रोक,
आगामी पीढ़ी की खुशहाली का ताना बुनें।।
- सुशीला देवी
करनाल, हरियाणा
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