मनहर मौसम - by Anuradha Yadav


मनहर मौसम

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अलबेला चाँद आया है,

फिज़ा में रंग लाया है।

सुहानी चांदनी में डूबा ,

बड़ा मनहर-सा मौसम है।।

कभी आँखें उनीदीं हैं।

कभी दिल जगमगाया है।

रात के रूप की रागिनी,

प्रिय के प्रीत की दामिनी,

है चांदनी रात तारों भरी,

और छिटकी हँसी चांदनी,

आज रात रौशन रही मन,

फिर खिलखिलाया है।

बड़ा मनहर-सा मौसम है।।

कभी दिल जगमगाया है।

कुछ चुनिंदा से पल,

फिर गिर गए आँख से

ओस के मोती जो,

फिर झर गए शाख से।

मुझसे चंचल पवन,

फिर धीरे से बोली जरा,

प्यार का एक पल,

बन आँसू मेरी आँख में,

फिर झिलमिलाया है।

बड़ा मनहर-सा मौसम है।।

है तमन्ना यही बस,

हरदम तेरा साथ हो,

अंजुरी मे , मैं भर लूँ

झरते परिजात हों।

गुमनाम इश्क की,

फिर चल पड़ें आँधियाँ।

कलाई में सज गईं चूड़ियाँ,

दिल फिर खनखनाया है।

बड़ा मनहर-सा मौसम है।।

रात रौशन रही मन महकता रहा,

रेशमी परदों से गुजरती रहीं,

द्वार खटके जरा खुल पड़ें खिड़कियाँ,

कौन आया अभी किसने,

द्वार खटखटाया है।

बड़ा मनहर-सा मौसम है।


- अनुराधा यादव

भोपाल, मध्य प्रदेश

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