नारी-नारी का रूप,हितकर सर्वदा !नर जानता।।नारायणी है,नारी ही बन जाती !इस जग में।।सीता - सावित्रीभगवती की शक्ति।धारे जगत ।।नारी तारती,सदा उभय कुल !वेद - कथन ।।नारी कहाती,सर्वदा अर्धांगिनी !पुरुष साथ ।।जग - मंगल,नारी नर के साथ !झुकाए माथ ।।- गिरीश चन्द्र ओझा "इन्द्र"आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
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