पढ़ें लाल बच्चन पासवान जी की रचनाएँ ( Lal Bachchan Paswan )
(1) जीवन का आनन्द
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हर उम्र में पसंद अलग,
जीवन का आनंद अलग ।
बनाने नहीं, बिगाड़ने में,
खाने नहीं, खिलाने में,
खेलने और खेलाने में,
संग-संग मेला जाने में,
मम्मी को नित सताने में,
पापा को गेम हराने में,
बाल्यावस्था का सुगंध अलग,
जीवन का आनंद अलग ।
कमाने व पैसा जुटाने में,
जमीं बेच घर बनाने में,
मोबाइल पर बतियाने में,
प्रेम का अलख जगाने में,
अयोग्य नेता बन जाने में,
मुफ्त धन हथियाने में,
युवावस्था का अनुबंध अलग,
जीवन का आनंद अलग ।
नाकाम पुत्र नकारने में,
पुत्री-सेवा स्वीकारने में,
हमउम्र संग बतियाने में,
पौत्र-पौत्री पर खिसियाने में,
अपना खिस्सा सुनाने में,
लाठी चश्मा सरियाने में,
वृद्धावस्था का प्रबंध अलग,
जीवन का आनंद अलग ।
- लाल बच्चन पासवान
मुजफ्फरपुर, बिहार
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(2) परघर में घुसना
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दरवाजा छोड़ खिड़की से हालचाल पूछना,
आदत खराब अनायास परघर में घुसना,
बनाते पुआ खीर, मेहमान जो आनेवाले हैं,
बिन बताये आये, पड़ता मक्का भूँजा ठूँसना।
पहली बार पहुँचे तो बताइए पूरा परिचय,
घर-समाचार कहे, जब दूसरी दफा भी गये,
क्रम से घटता जाता कुटुम्ब का सम्मान,
बार-बार पहुँचे तो लाज घोरकर पी गये।
फतिंगा को जलाता है लौ का आकर्षण,
अच्छा लगता है जब मिले मुफ्त परधन,
दूसरे के बनाए घर में रहता जहरीला नाग,
सर्प है ले लेता चूहे का अक्सर जीवन।
जनसेवक का जीवन परसेवा सिखलाता,
स्वतन मैलकर पेन्टर परगेह चमकाता।
सम्भाले बेकार, कपटी फूलों की हार,
खुशबू बाँटे नि:स्वार्थ, वही जग महकाता।
दूसरे स्थान जायें तो पता कर लें दिशा-ज्ञान,
आदर नहीं पाते अशिष्ट अपरिचित मेहमान,
कुर्सी पानेवाले नियत समय का रखें ख्याल,
पहुँचने से पहले खाली न पड़ जाये मैदान!
- लाल बच्चन पासवान
मुजफ्फरपुर, बिहार
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(3) मोहन की लाठी
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गोरा से छीन लिया निज घोड़ा-हाथी,
मोहन की लाठी, हाँ मोहन की लाठी ।
गाँधी की बातों में सत्य सौ प्रतिशत
चाहते करें नहीं किसी को हताहत,
दिल दु:खाते नहीं, हर जीव था प्यारा
"करो या मरो" का भी दिया था नारा,
राष्ट्रीय एकता भगायी विदेशी विघाती
मोहन की लाठी, हाँ मोहन की लाठी ।
जर्जर भारत का कर आर्थिक आंकलन
विदूषक बैरिस्टर रहने लगा अर्द्धनग्न,
शांतिप्रिय का भोजन प्रिय शाकाहारी
दुबली काया कौतूहल पैदल सवारी,
सभी धर्मों को जोड़ा और सभी जाति
मोहन की लाठी, हाँ मोहन की लाठी ।
था बैठ गया स्थायी फिरंगी हमलावर
जुल्म बढ़ता गया निर्दोष निर्बल पर,
अंग्रेज को भगाना था अशेष अरमान
"हे राम" कहने से पूर्व आजाद हिंदुस्तान,
सत्याग्रह से स्वतंत्रता लिया साथी
मोहन की लाठी, हाँ मोहन की लाठी ।
- लाल बच्चन पासवान
मुजफ्फरपुर, बिहार
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(4) कविता
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भावराशि का उचित स्थान है,
कविता मानव की मुस्कान है ।
बनावटीपन से दूर एक तरफ
दूसरे बौद्धिक व्यायाम की पहल,
निर्मित अभिधा की धरती पर
लक्षणा एवं व्यंजना का महल ।
करते शब्द-चयन और सुसज्ज
फिर अपने भावों की अभिव्यक्ति,
रचते वाक्य इष्ट अर्थ वाला
आखिर प्रकृत रचना फूट निकलती ।
लाये भाषा में गति व कला
होती चमत्कारी, शब्द में रमणीयता,
सौन्दर्य में चार चाँद लगाये ध्वनि
रसात्मकता के साथ स्वीकार पठनीयता ।
शब्द शक्ति से है यह संपन्न कार्य
शब्द व अर्थ के यथावत सहभाव,
दोषरहित अलंकार रीति सहित
लक्ष्य भेदना ही सुलभ स्वभाव ।
सर्वोत्तम शब्दों का बनता श्रेष्ठक्रम
रसानुभूति का दोषरहित वक्रव्यापार,
शांति-क्षण में स्मारित मनोवेग
सजाये रीति-ध्वनि-रस-अलंकार ।
काव्य की आत्मा रस स्वीकार
विभाव अनुभाव व व्यभिचारी,
रस निष्पत्ति का यह खण्ड
चेतना लाये भावकत्व व्यापारी ।
कहीं करूणा श्रृंगार वीर-रौद्र
भयानक वीभत्स अद्भुत हास्य,
रखे कविता को मिल जीवित
शान्त रस, कहीं वात्सल्य ।
सहेजनेवाली सामाजिक सहृदयता
दिखे उपमा उपमेय उपमान,
अनुप्रास यमक गुण से युक्त
पद्य की खास अपनी पहचान ।
औचित्य-अनौचित्य शब्द-भंडार
दे जाये कहीं-कहीं अर्थदोष,
गुण-दोष से युक्त समुदित संसार
यह भी झेलता काव्य-दोष ।
भरतमुनि का नाट्यशास्त्र
है काव्यशास्त्र का आधार ग्रंथ,
आदिकाल व रीतिकाल से चलकर
भक्तिकाल भूल, चली आधुनिक पंथ ।
- लाल बच्चन पासवान
मुजफ्फरपुर, बिहार
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(5) मेरा मन
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बादल बन उमड़े नील गगन, मेरा मन ।
तुच्छ समझे पड़ा परधन, मेरा मन ।
रंगीन संसार लुभाये, पाये जब सादा
अविचलित अपूर्ण, संतुष्टि करे आधा,
महोत्सव आये तो गायें गीत मल्हार
शोक-संवेदना प्रकट,संत छोड़े संसार,
वन-वन ढूँढे खिला सुमन, मेरा मन ।
ओट हटे, विकास की किरण सब पर पड़े
शौर्य को ताली दे दिव्यांग वहीं पे खड़े-खड़े,
बड़ा-छोटा का भेद व्याप्त,दिखे न समानता
पंचायती में पंच अपने पद को न पहचानता,
तब रोता, सत्य का होता हनन, मेरा मन ।
आँख उठाया शठ शत्रु,विपत्ति समझो आई
दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाये तिरंगे की ऊँचाई,
जगत पथप्रदर्शक जब जगमग करता भारत
ज्ञान-विज्ञान सुरक्षित क्षेत्र में लब्ध महारत,
खिलखिलाता, आगे बढ़े वतन, मेरा मन ।
- लाल बच्चन पासवान
मुजफ्फरपुर, बिहार
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