पढ़े डाॅ० कृष्णा जोशी जी की रचनाएँ ( Dr. Krishna Joshi )
(1) प्रकृति वंदन
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नित करें हम प्रकृति वंदन।
प्रकृति से ही हम हैं सम्पन्न।।
प्रकृति से करना नित स्नेह।
प्रकृति संरक्षण ही हो ध्येय।।
प्रकृति के अति सुन्दर नज़ारे।
हरियाली से इसको सजा रे।।
प्रकृति बिन नहीं होता गुज़ारा।
प्रकृति ने ही सदैव हैं उबारा।।
प्रकृति से सुंदर नहीं कोई जग में।
प्रकृति का रहें ध्यान रग-रग में।।
प्रकृति वंदन का लें हम संकल्प।
प्रकृति संरक्षण ही सही विकल्प।।
सर्व प्रथम करें सदैव प्रकृति वंदन।
प्रकृति से जग में अमन चमन।।
प्रकृति वंदन, संरक्षण में देंगे साथ।
"कृष्णा" कहें सभी से यही सत्य बात।।
- डाॅ० कृष्णा जोशी
इन्दौर, मध्यप्रदेश
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(2) राष्ट्र वंदन
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प्रथम करें हम राष्ट्र वंदन।
देश में हो सदैव ही अमन।।
राष्ट्र वंदन ही ध्येय है हमारा।
भारत हमारा है अति प्यारा।।
पृथ्वी कहती धीरज ना छोड़ो।
प्रतिकूलता की धार को मोड़ो ।।
राष्ट्र की जय-जय कार करें।
भाव सत्यता का ह्दय धरे।।
सत्यता सद्भाव से भरी हो धरा ।
पर्यावरण सौंदर्य हो सब हरा भरा ।।
सुन्दर हो यह धरती और गगन ।
सबसे पहले करें हम राष्ट्र वंदन।।
शांति सद्भावना और सदैवयहां चमन।
कृष्णा प्रथम करें राष्ट्र वंदन, नमन।।
राष्ट्र वंदन कर होता मन प्रसन्न।
देश में बढ़े सदैव अमन चमन।।
- डाॅ० कृष्णा जोशी
इन्दौर, मध्यप्रदेश
अति उत्तम, हार्दिक धन्यवाद एवं आभार ।
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