दुनिया दीवानी हुई - by Rajneesh Kumar 'Prasad'
दुनिया दीवानी हुई
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वो गुलामी की बातें पुरानी हुई,
अब तो दुनिया हमारी दीवानी हुई,
देश सबसे अनोखा है ये विश्व में,
हर ऋतु की यहाँ आगवानी हुई।।
सभ्यता संस्कृति के हम नायक रहे,
शान्ति - दूत के हम वाहक रहे ,
पाठ हमको पढ़ाया था जो बुद्ध ने,
आज दुनिया उसी पे रवानी हुई।
अब तो दुनिया हमारी दिवानी हुई।।
गाँधी , सरदार , बोस , अंबेडकर,
चल दिए इस जहाँ को हमें सौंपकर,
सपन देखे थे जैसे उनके नयन ,
देख लो आस उनकी भी पूरी हुई।
अब तो दुनिया हमारी दीवानी हुई।।
चिकित्सक यहाँ, अभियंता यहाँ,
राजनीतिज्ञ यहाँ, वैज्ञानिक यहाँ,
उठा के नजर तुम जहाँ देख लो,
इन सभी की यहाँ राजधानी हुई।
अब तो दुनिया दीवानी हुई।।
थी बहुत मुश्किलें हम लड़ते रहें,
कदम- दर-कदम हम बढ़ते रहे,
कारवाँ इस कदर इस जहाँ में बढ़ा,
हर तरफ अब हमारी प्रधानी हुई।
अब तो दुनिया हमारी दीवानी हुई।।
केसरी हम कफ़न बाँध के चल पड़े,
साँस टूटे तो केवल वतन पर गिरें,
स्वर्ण अक्षर में बनती कहानी गई,
भारती माँ की चुनरी भी धानी हुई।
अब तो दुनिया हमारी दीवानी हुई।।
- रजनीश कुमार ‘प्रसाद’
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
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