जाँनिसार बाक़ी है - by Kapil Kumar


जाँनिसार बाक़ी है

-

ये   दिले   बेक़रार    बाक़ी  है।

जिंदगी  का   ख़ुमार  बाक़ी है।


जुस्तजू   कैसी,   आईना  कैसा,

अब भी दीदार-ए-यार बाक़ी है।


मैने इक़रार कर  लिया  कब का,

सिर्फ़ इक़रार -ए- यार  बाक़ी है।


जोड़  रक्खे  हैं हमने  सब  रिश्ते,

ख़ानदानी   वक़ार     बाक़ी   है।


ख़्वाब   सारे  ही  वक़्त  ने  तोड़े,

डूबी  कश्ती ,  सवार   बाक़ी  है।


जंग  हारा  नहीं  हूँ,   जख़्मी  हूँ,

जंग  की  आर - पार  बाक़ी   है।


सारे   दरबार    खटखटा   आए,

सिर्फ़   तेरा   दयार   बाक़ी    है।


जुल्म तुमने  बहुत  किए  लेकिन,

फिर भी  ये  जाँनिसार  बाक़ी  है।


- कपिल कुमार

बेल्जियम

No comments

Powered by Blogger.