क्षितिज पर मधुर मिलन संगीत - by M.D.S. Ramalaxmi


क्षितिज पर मधुर मिलन संगीत

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क्षितिज पर मधुर मिलन संगीत। 

उत्सव-सा नंदन कानन में ।।

मादकता वसुधा के तन में ।

किस यौवन की दिव्यकिरण से 

खिली कमल-सी प्रीत ।।


मधुर रूप की मृदुल कल्पना ।

तू यथार्थ मैं मधुरिम सपना ।।

कण-कण पर अंकित कर दे।

हम निज संगम मधुमित ।।


बन पराग पथ में बिछ जाऊँ।

आओ सुना स्वपन सजाऊँ ।।

क्या निशित के कारण देरी ।

देह जलती दीप प्रीत मधुमीत।।


क्षितिज पर मधुर मिलन संगीत ।

प्रेमरस घोल कलियाँ भ्रमर गूँजे ।।

झूम रही कोयलिया डाली-डाली ।

कैसे बताऊँ कौन राग गा गई ।।


तेरी छाँव में जीवन डोल रहा।

पायलों की झंकार गूँजी धरा ।।

प्राण तपे तप सुखी नश्वर काया ।

क्षितिज पर मधुर मिलन संगीत ।।


- एम. डी. यस. रामालक्ष्मी

कतर

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