पढ़े सीमा गर्ग मंजरी जी की रचनाएँ ( Seema Garg Manjari )
(1) ख़ामोश नहीं रहना
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अधिकारों की बात जहाँ हो, कर्तव्य हित बढ़ना होगा,
हिलमिल कर,संग साथ बढ़ो,ख़ामोश नहीं रहना होगा।
दुनिया का दस्तूर यहाँ धोखेबाजी से शोषण करना है,
अपना उल्लू सीधा करते,मोटे पेट का पोषण करना है।
छल छद्म युग में विषपान करे,वो नीलकंठ बनना होगा,
अधिकारों की बात जहाँ हो, कर्तव्य हित बढ़ना होगा।
परोपकार हित कर्म करने में कदम नहीं पीछे मानो,
वृद्ध माता-पिता की सेवा धर्म है,इसे बोझ नहीं जानो।
अन्याय का प्रतिकार करेगा, चिंगारी से जलने वाला,
जुल्मों सितम करेगा तो,अधर्मी का मुँह होगा काला।
लीक से हटकर, आगे बढ़कर, सत्पथ को चुनना होगा,
अधिकारों की बात जहाँ हो, कर्तव्य हित बढ़ना होगा।
सतरंगी सूरज हर एक दिन नया सवेरा लेकर आता है,
हक की आवाज उठाता है जो, नव इतिहास रचाता है।
नयी उमंग, नये जोश में, होश में रहकर काम करें,
महाभारत युद्ध विजय हेतु, कृष्ण केवल सारथी बनें।
आदर्शों की भट्टी में तपकर जीवन कुंदन करना होगा,
अधिकारों की बात जहाँ हो, कर्तव्य हित बढ़ना होगा।
- सीमा गर्ग मंजरी
मेरठ कैंट, उत्तर प्रदेश
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(2) अफसाना प्यार का
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अफसाना प्यार का, कुछ कह नहीं पाना,
लिख दूँ इक पाती, प्रिय हाल समझ जाना।
भावों से बाँधी कलम,अनहद दीवानी तेरी,
दिल की सदाओं में शब्दों की जुबानी मेरी।
पाती पढ़ कर सजना, धड़कन में बस जाना,
प्रेम सरस रस घोले, ख्बाबों में छुप आना।
लिख दूँ इक पाती, प्रिय नाद समझ जाना...
स्वर्ण किरण से उज्जवल, स्वप्निल संसार में,
कनक कमल हृदय खिलते, हम-दम प्यार में।
आंनद रस धार बहे, भीगा अंतस का कोना,
आह्लादित प्रीति जागी,क्या हुआ कोई टोना।
लिख दूँ इक पाती, प्रिय कृष्ण समझ जाना...
कोमल किसलय मन की, कलियाँ चटकीं हैं,
दोहा,गीत,छंद गजल, कलम से निकलीं हैं।
लिखा प्रेम गीत मैंने, इजहार समझ जाना,
मलयानिल झोंके संग तेरी खुशबु का आना।
लिख दूँ इक पाती प्रिय,दिव्य समझ जाना...
- सीमा गर्ग मंजरी
मेरठ कैंट, उत्तर प्रदेश
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