पढ़े सरोज माहेश्वरी जी की रचनाएँ ( Saroj Maheswari )


(1) धर्म क्षेत्र में क्यों अधर्म हुआ

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महाभारत की रणभूमि में

दानवीर कर्ण कुछ विचलित था,

प्रश्न बड़ा तब उसके मन में था

क्षत्रिय कुल में मैं जन्मा था।

फिर क्य़ों सूतपुत्र का तमगा पाया?

माँ कुंती से यह प्रश्न किया...

दे जन्म, गंगा को अर्पित किया

माँ ! ख़ता क्या थी? बस इतना बता दो...

पार्थ का मैं कभी काल न बनूँ

माँ ! तूने था यह वचन लिया,

प्रतिद्वन्द्वी अर्जुन से श्रेष्ठ धनुर्धर मैं था

ऐसा श्रीकृष्ण ने था स्वीकार किया,

फिर छल से धर्मराज अनुज अर्जुन ने

मुझे निहत्थे पर क्य़ों वार किया ?

हे माधव ! ख़ता क्या थी ? बस इतना बता दो...

भृगुपति ने गुरु बन ज्ञान दिया

फिर गुरु ने ही ज्ञान बिसराया,

हे गुरुदेव! ख़ता क्या था ? बस इतना बता दो...

पलभर में जग का तम हरने वाले

फिर पल भर, छल से छिपने वाले,

जन्मदाता को पुत्र कौशल क्या रास न आया?

हे दिनकर! ख़ता क्या थी? बस इतना बता दो... 

मित्रता का मैंने अक्षुण्ण दीप जलाया

मुझसे क्या कुछ पाप हुआ ?

मित्र धर्म निभाना अधर्म नहीं तो

फिर, धर्म क्षेत्र में क्य़ों अधर्म हुआ?

हे वासुदेव! ख़ता क्या थी ?

बस इतना बता दो ......

धर्मक्षेत्र में क्यों अधर्म हुआ ?


- सरोज माहेश्वरी 

पुणे, महाराष्ट्र


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(2) सच का आईना टूट गया है

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आईना झूठ बोलता नहीं,

कहना यह... आज सत्य लगता नहीं,

या यूँ कहें... एक चेहरा जब,

अनेक चेहरों में बँट जाता है,

तब आईना टुकडों में बिखर जाता है,

फिर इन टूटे काँच के टुकडों में

मुक्कमल चेहरा आज दिखता नहीं।

बनावट का अब ओढ़ दुशाला,

दिखावटी रिश्तों का है बोलवाला,

आईना मात्र चेहरा दिखाता है,

जहर दिल का उजागर न कर पाता है।

कुछ फरेबी इंसानों का चेहरा,

पाक साफ नज़र तो आता है, पर

करके दुरुपयोग पद का, जश्न मना

तनय कुबेर का बन जाता है।

ये दर्पण! सत्य का चेहरा छिपा जाता है।

सीमा विध्वंस हो जाती तब

जब भेड़ की खाल में छिपे 

भेडिय़ों के नापाक़ चेहरे

ये दर्पण! पाक साफ दिखाता है।

तभी तो राक्षस बना कोई जन्मतदाता

बेटी का ही भक्षक बन जाता है।

ये दर्पण ! त्रसित बेटी को पहले.. 

बाप के अपावन चेहरे का सत्य न दिखा पाता है।

और न जाने कितने अपवित्र वीभत्स चेहरे

ये दर्पण! उदर अपने में छिपा जाता है।

आईना झूठ बोलता नहीं

कहना यह... आज सत्य लगता नहीं

या यूँ कहें.... 

सत्य का आईना टूट गया है...


- सरोज माहेश्वरी

पुणे, महाराष्ट्र

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