सबका सहारा बनता जा - by Shikha Saxena


सबका सहारा बनता जा

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मंजिल पर रख नज़र, नित्य कर्म किए जा,

मेहनत से मत घबरा, आलस का त्याग किए जा।

गलती करने से मत घबरा, गिर कर फिर हो जा खड़ा,

मैदाने जंग में जो गिरता है, वही तो आगे बढ़ता है।

समस्याओं को जीवन से निकाल, मुश्किलों को ठोकर से उछाल,

रख हिम्मत तूफानों से टकराने की, जरूरत नहीं मुसीबत से घबराने की।

जो पाना है बस उसकी चाहत रख, साथ में ईश की वंदन कर,

मन में उम्मीदों के दीए जला, जिंदगी को रंगों से सजा।

वो आँखें कैसी जिसमें, नई उम्मीद नई अपेक्षाएँ न हों,

वो जीवन भला कैसा जीवन, जिसमें परीक्षाएँ न हों।

अपने दिल की कहता जा और सबके दिल की सुनता जा,

सबको खुश तू रखता जा और सबका सहारा बनता जा।

पल-पल ध्यान रहे यह, जरा भी न अभिमान रहे,

पाया जो सब यहीं रहेगा, सहज सरल जीवन बिताता जा।।

जिंदगी की नई कहानी लिखता जा, सूरज की तरह चमकता जा। 

दुनिया को कुछ करके दिखाता जा, राही बन के आगे बढ़ता जा।


- शिखा सक्सेना

नई दिल्ली

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