एक सलाम - by Sonu Saini


एक सलाम

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एक सलाम उन्हें जो वतन पर जिए,

एक सलाम उन्हें जो वतन पर मरे।

हम जिए तो जिए क्या खाक जिए,

हम मरे तो मरे क्या खाक मरे।

एक सलाम.....


कफन माथे पर बाँध जब वो घर से चले,

कह गए अलविदा फिर मिले ना मिले।

सर्द रातो में भी, तपती रेतों में भी,

शहराओं में भी, जल बहाओ में भी,

जिस्म में जब तलक थी साँसे बची,

वो गिरते रहे, वो लड़ते रहे।

एक सलाम.....


सुख भी था, दुख भी था, पर उफ्फ तक ना की,

धड़कने वार दी इस वतन के लिए।

ख़ुश रहे यूँ सदा, मेरा हिन्दोस्ताँ,

उन्होंने जान वार दी इस वतन के लिए।

एक सलाम.....


कुछ कफन में लिपट कर घर को चले,

कुछ के शीश कटे, फिर मिले ना मिले।

सबने खाई कसम हिन्द पर मिटने की,

सब के सब अपनी कसमों पर उतरे खरे।

एक सलाम उन्हें.........


- सोनू सैनी

दौसा, राजस्थान

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